दोस्तों, बिहार कोकिला शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) ने दिल्ली एम्स में लिए अंतिम साँस. अपनी मधुर आवाज से लगभग 5 दशकों तक भारतीय संगीत एवं बिहार लोक म्यूजिक को नई ऊंचाई देने वाली शारदा सिन्हा के निधन से पूरा बिहार एवं पूर्वी भारत अत्यंत दुखी होगा. बिहार कोकिला के रूप में जाने वाली अपने प्रसिद्ध आवाज से मैथिली, भोजपुरी, व मगही लोकगीतों को जन-जन का कंठ हार बनाया. चाहे वह बिहार का सबसे पवित्र पर्व छठ महापर्व या शादी समारोह बिना शारदा सिन्हा के लोकगीतों के संपूर्ण नहीं होता है. यह एक अत्यंत संयोग ही होगा की छठी मैया के लोकगीतों से उन्हें पहचान मिला, इस पावन पर्व के पहले दिन उनका निधन हुआ. ऐसा लगता है मानों छठी मैया ने उनको अपने पास बुला लिया। उनकी आत्मा को शांति मिले.
बीमारी के हालत में भी Sharda Sinha Last Chhath Geet गाया
अपने सुरों से छठ महापर्व को जगमगा देने वाले शारदा सिन्हा का निधन मंगलवार 9 बजकर 20 मिनट पर हुआ. अस्वस्थ होने के बावजूद भी उन्होंने अपने नए गीत (Sharda Sinha new Chhath Song) का वीडियो Delhi AIIMS से ही रिलीज किया था. यह उनके जीवन का अंतिम गाना था. बताया गया कि वह बहुत लंबे समय से ही बीमार थे और बीते सप्ताह ही वह वेंटिलेटर पर चली गई थी. Delhi AIIMS में भर्ती होने के बाद उनके सुपुत्र अंशुमान सिंह ने सोशल मीडिया के माध्यम से सभी प्रशंसकों को उनके हालात के बारे में अवगत कराया. शारदा सिन्हा के अंतिम सांस लेने के बाद उनके बेटे ने बताया कि “आप सब की प्रार्थना और प्यार हमेशा मां के साथ रहेंगे। मां को छठी मईया ने अपने पास बुला लिया है। मां अब शारीरिक रूप में हम सब के बीच नहीं रहीं।’.
दुखवा मिटाई ना हे छठी मैया – Sharda Sinha Last Chhath Song
शारदा सिन्हा के मधुर आवाज छठ पर्व के मौके पर हम लोग बचपन से ही सुनते आ रहे हैं हर साल इस महापर्व के अवसर पर वह कोई ना कोई गीत जरूर रिलीज करती थी. चाहे वह हिंदी फिल्म हो या बिहार के लोकगीत उन्होंने कई गानों में अपनी मधुर आवाज दी. अस्वस्थ होने के कारण दिल्ली एम्स से ही इस छठ पर्व पर उन्होंने अपना जीवन का अपना अंतिम लोकगीत गया – ‘दुखवा मिटाई ना हे छठी मैया’.
कौन जानता था की जी बिहार कोकिला ने अपनी मधुर एवं महान आवाज से छठी मैया का आवाहन करती थी इस महान पर्व के पहले दिन उनका निधन हो जाएगा. भले ही शारदा सिन्हा अभी संसार में नहीं रहे पर उनका गीत हमेशा हमेशा के लिए अमर रहेगा.
शारदा सिन्हा के सबसे प्रशिद्ध लोकगीत के बोल – कांच ही बांस के बहंगिया
आज छठ महापर्व के शुभ अवसर पर जानते हैं शारदा सिन्हा के सबसे प्रसिद्ध लोकगीत कांच ही बांस के बहंगिया के लिरिक्स (kanch hi bans ke bahangiya lyrics):
“ कांच ही बांस के बहंगिया – 2
बहंगी लचकत जाए – 2
होए ना बलम जी कहरिया,
बहंगी घाटे पहुंचाए – 2
कांच ही बांस के बहंगिया , बहंगी लचकत जाए,
बहंगी लचकत जाए
बाट जे पूछे ना बटोहिया,
बहंगी केकरा के जाय – 2
तू तो आंध्र होवे रे बटोहिया,
बहंगी छठ मैया के जाए – 2
वह रे जे बाड़ी छठी मैया,
बहंगी उनका के जाए – 2
कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए,
बहंगी लचकत जाए ।।
होए ना देवर जी कहरिया,
बहंगी घाटे पहुंचाई – 2
वह रे जो बाड़ी छठी मैया,
बहंगी उनका के जाए – 2
बाटे जे पूछे ना बटोहिया बहंगी केकरा के जाय,
बहंगी केकरा के जाय ।।
तू तो आन्हर होय रे बटोहिया,
बहंगी छठ मैया के जाए – 2
वह रे जय भइली छठी मैया , बहंगी उनका के जाए,
बहंगी उनका के जाए – 2
कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए,
बहंगी लचकत जाए ” – 2
Conclusion:
शारदा सिन्हा मैथिली-मगही-भोजपुरी में प्रेम के मधुर गीतों से ले कर धार्मिक गीतों तक अपनी अमिट छाप छोड़ती रही हैं। भले ही वो भौतिक रूप में हमारे साथ नहीं हैं, परंतु आने वाली पीढ़ियों के कानों को अपनी मधु-सदृश तान से वो कृतार्थ करती रहेंगी। लोकगायिका पद्मश्री शारदा सिन्हा का छठपर्व के नहाय खाय की तिथि पर भगवान सूर्य से सायुज्य प्राप्त करना समग्र लोक संगीत के लिए शोकाकुल करने वाला पल है ! ईश्वर उनके समस्त श्रोताओं को शोक सहने की शक्ति प्रदान करे ! ॐ शांति !!